पेशेंट की आवश्यकता अनुसार अलग-अलग प्रकार की डायलिसिस की आवश्यकता होती है ! इसलिए डायलेसिस करने का प्रोसेस भी भिन्न होता है ! मुख्यता डायलेसिस पांच प्रकार के होते हैं!
डायलिसिस मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं जिनमें पहला तीन तरह का डायलिसिस सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है !
हेमोडायलिसिस किडनी के लिए किया जाता है इस तरह डायलिसिस में 4 घंटे का समय लगता है एक सप्ताह में दो से तीन बार किया जाता है ! हेमोडायलिसिस एक प्रक्रिया है जो मानव निर्मित झिल्ली (डायलज़र) का उपयोग करके, यूरिया को खून से निकाला जाता है!
गुर्दे फेल होने की स्थिति में पेरीटोनियल डायलिसिस किया जाता है ! इस तरह के डायलेसिस में पेशेंट का पेट के परत को डायलज़र तौर पर इस्तेमाल किया जाता है! पेशेंट के पेट के अंदर नरम ट्यूब डाला जाता है इसीलिए इसे पेरिटोनियल डायलिसिस कहते हैं !
जब गुर्दे किसी भी कारण से चोट लगता है, तो पेशेंट को आईसीयू में हेमोफिल्टरेशन उपचार के तौर पर किया जाता है!
हेमो फिल्ट्रेशन का एडवांस रूप है हेमोडाएफिल्ट्रेशन, जिस में क्लीयरेंस मटेरियल मिलाया जाता है जो खून को ज्यादा साफ करने सक्षम होता है !
आंतों के डायलिसिस में किसी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता इसमें रोगी के भोजन में बबूल का सेवन के साथ सूक्ष्मजीवों और घुलनशील फाइबर उपयोग कर के आंतों के रास्ते खून की सफाई की जाती है !
डायलिसिस मशीन को एक कृत्रिम किडनी के रूप में माना जा सकता है! ऊपर आपने तीन फोटो में डायलिसिस की मशीन को देखा होगा जिस से यह प्रतीत होता है कि तीनों ही मशीन अलग तरीके का है ! इन तीनों मशीनों में एक चीज कॉमन है वह है डायलिसिस करने वाला फिल्टर जो मानव के द्वारा बनाया गया है! यह फिल्टर अल्ट्रा फिल्ट्रेशन करने में सक्षम है जो खून में यूरिया एवं यूरिक एसिड जैसे विषैले पदार्थ को खून से हटा देता है ! पेशेंट के व्हेन से ब्लड निकाला जाता है जब की आटरी में साफ खून मशीन के द्वारा डाला जाता है !
भारतीय बाजार में डायलिसिस मशीन की कीमत 5 लाख से 15 लाख के बीच है लेकिन जो इंपॉर्टेंट होते हैं उसका दाम लगभग 25 लाख के आस-पास होता है ! डायलिसिस की क्वालिटी यानी गुणवत्ता डॉक्टर की कुशलता एवं मशीन की क्वालिटी पर निर्भर करता है !
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